मुझे गर्व है कि मैं नारी हूँ
कौन कहता है कि मेरी पहचान नहीं
मैं किसी की बेटी ,किसी की बहन
किसी की बहू ,किसी की पत्नी कहला के भी खुश हूँ
मुझे गर्व है कि मै नारी हूँ
कौन कहता है मैं गुलाम हूँ
सभी मेरे प्रिय हैं मैं गुलाम नहीं
बेटी बिना घर सूना ,रिश्ते फीके
बहन बिना भाई की कलाई सूनी
हर त्योहार फीका, भावी ननद बिना न सुहाय
बहू बिना तो अगली पीढ़ी कहाँ से आये
पत्नी बन मैं अपने पिया को हर पल हर
कदम साथ चलूँ , दुःख में भी सुख में भी
मेरे दो शब्द सब को नया साहस दें
"कोई बात नहीं हम सब हैं न "
अपनी संस्कृति को संजोय
अपनी बहू और बेटी को विरासत में दूं
यह परम्परा यूँ ही चलाऊं ,
मेरी भरी मांग कोई गुलामी की निशानी नहीं
मेरे माथे पे बिंदिया से मेरा रूप निखरता है
मुझे पढ़ने की आजादी है
और कौन सी आजादी चाहिए
मुझे गर्व है कि मैं नारी हूँ
नारी तू कमजोर नही....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..आशा जी
धन्यबाद विजय जी
ReplyDeleteso nice Asha ji
ReplyDeletethanks Pritpal ji
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